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ईमान पर शायरी – रूह की रौशनी का पैग़ाम
Imaan (विश्वास) एक ऐसी रौशनी है जो इंसान के दिल को नूर से भर देती है। ये नज़रों से नहीं, दिल से महसूस की जाती है — अल्लाह पर यक़ीन, सच्चाई की राह पर चलने का जज़्बा, और हर मुश्किल में उम्मीद का दामन थामे रहना… यही है सच्चा ईमान। ईमान, जिसे हम ‘Imaan’ भी कहते हैं, हमारे जीवन का आधार है।
शायरी, जब ईमान से जुड़ती है, तो सिर्फ अल्फ़ाज़ नहीं रह जाती — वो दुआ बन जाती है, सुकून बन जाती है, और रूह तक उतर जाती है। अल्लामा इक़बाल जैसे शायरों ने ईमान को बुलंदी, खुदी, और बेख़ौफी का प्रतीक बनाया है। वहीं दूसरे शायरों ने ईमान को मोहब्बत, सब्र और रब की रहमत से जोड़ा है।
इस संग्रह में आपको ऐसे ही जज़्बात से लबरेज़ शेर मिलेंगे — जो न सिर्फ आपके दिल को छूएंगे, बल्कि आपको अपने रब से और क़रीब कर देंगे।
मुसलमान को मुसलमान बना देती है तंगदस्ती,
फ़क़्र में ईमाँ है, दौलत में है फ़ितना।
– Allama Iqbal
मुसलमान को मुसलमान बना देती है तंगदस्ती,
फ़क़्र में ईमाँ है, दौलत में है फ़ितना।
– Allama Iqbal
न समझा जाएगा तू इस दौर के मिज़ाज से,
तेरा वजूद है आईना, ईमान का सबूत
न समझा जाएगा तू इस दौर के मिज़ाज से,
तेरा वजूद है आईना, ईमान का सबूत
तू शाहीं है, परवाज़ है काम तेरा,
तेरे सामने आसमाँ और भी हैं।
– Allama Iqbal
तू शाहीं है, परवाज़ है काम तेरा,
तेरे सामने आसमाँ और भी हैं।
– Allama Iqbal
ईमाँ की दौलत हो तो फिर क्या ग़म,
क़दमों में होंगे जहान सारे।
ईमाँ की दौलत हो तो फिर क्या ग़म,
क़दमों में होंगे जहान सारे।
जिस दिल में बसता है यक़ीन-ए-ख़ुदा,
वो दुनिया की बातों से नहीं डरा।
जिस दिल में बसता है यक़ीन-ए-ख़ुदा,
वो दुनिया की बातों से नहीं डरा।
ईमान से बढ़कर कोई दौलत नहीं,
जो मिल जाए, फिर कोई हसरत नहीं।
ईमान से बढ़कर कोई दौलत नहीं,
जो मिल जाए, फिर कोई हसरत नहीं।
अंधेरे छा भी जाएँ तो क्या ग़म,
जिसके दिल में ईमाँ है, वो रोशन है हरदम।
अंधेरे छा भी जाएँ तो क्या ग़म,
जिसके दिल में ईमाँ है, वो रोशन है हरदम।
हर तूफ़ान से लड़ता है जो,
उसके सीने में होता है ईमान का जोश।
हर तूफ़ान से लड़ता है जो,
उसके सीने में होता है ईमान का जोश।
🕌 1. Imaan की पहचान (The Identity of Faith)
ईमान (Imaan) की यह पहचान हमें सिखाती है कि सच्ची ताकत भीतर से आती है।
ईमान वो चिराग़ है जो तूफ़ानों में भी रोशन रहता है।
— अल्लामा इक़बाल
ईमान वो चिराग़ है जो तूफ़ानों में भी रोशन रहता है।
— अल्लामा इक़बाल
जिसका रूह से नाता हो, वो खुदा से दूर नहीं होता।
जिसका रूह से नाता हो, वो खुदा से दूर नहीं होता।
दिल को सच्चा बना लो, ईमान खुद बहार बन जाएगा।
दिल को सच्चा बना लो, ईमान खुद बहार बन जाएगा।
ईमान है एक आईना, साफ़ रखोगे तो खुदा दिखेगा।
ईमान है एक आईना, साफ़ रखोगे तो खुदा दिखेगा।
जो दिल में हो यकीन-ए-ख़ुदा,
तो रास्ते खुद बखुद बन जाते हैं।
जो दिल में हो यकीन-ए-ख़ुदा,
तो रास्ते खुद बखुद बन जाते हैं।
गुनाह से लड़ते रहना ही सच्चा ईमां है,
वरना सज्दों में धोखा देना आसान है।
गुनाह से लड़ते रहना ही सच्चा ईमां है,
वरना सज्दों में धोखा देना आसान है।
जिसे हो अल्लाह पर यकीन,
वो कभी मायूस नहीं होता।
जिसे हो अल्लाह पर यकीन,
वो कभी मायूस नहीं होता।
ईमां की रौशनी हर अंधेरे को मात देती है
ईमां की रौशनी हर अंधेरे को मात देती है
मुसलमाँ को मुसलमाँ कर दिया तूफ़ाँ ने,
सहरा में मिलती है वो राहे-ख़ुदाई।
— अल्लामा इक़बाल
मुसलमाँ को मुसलमाँ कर दिया तूफ़ाँ ने,
सहरा में मिलती है वो राहे-ख़ुदाई।
— अल्लामा इक़बाल
हज़ारों साल नर्गिस अपनी बे-नूरी पे रोती है,
बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदावर पैदा।
— अल्लामा इक़बाल
हज़ारों साल नर्गिस अपनी बे-नूरी पे रोती है,
बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदावर पैदा।
— अल्लामा इक़बाल
ईमान तग़य्युर में है, हर लम्हा बदलता है,
लेकिन जो सच्चा हो, वो वक़्त से नहीं डरता।
ईमान तग़य्युर में है, हर लम्हा बदलता है,
लेकिन जो सच्चा हो, वो वक़्त से नहीं डरता।
3. 📖 कुरान और ईमान – हिदायत और यकीन की रौशनी 🌙
कुरान सिर्फ़ एक किताब नहीं, बल्कि रब की रहमतों का पैग़ाम है — हर उस दिल के लिए जो सच की तलाश में है, हर उस रूह के लिए जो ईमान की रौशनी चाहती है।
ईमान वो नूर है जो अंधेरों में भी रास्ता दिखाता है, और कुरान वो नक़्शा है जो उस रास्ते को समझाता है।
जब इंसान दिल से कुरान को पढ़ता है, तो अल्फ़ाज़ नहीं, हिदायतें उतरती हैं। हर आयत दिल को झकझोरती है और हर हर्फ़ यकीन को मज़बूत करता है।
कुरान, ईमान का आईना है — जो दिखाता है कि इंसान का असली मक़सद क्या है, और उसे कैसे जिया जाए।
“कुरान और ईमान” की ये जोड़ी एक मुसलमान की ज़िंदगी में ऐसे ही है जैसे रूह में जान। जो कुरान को समझे, वो ईमान से दूर नहीं होता — और जो ईमान को जी ले, उसके लिए कुरान एक जीती-जागती रहमत बन जाता है।
जो ईमान में रचे-बसे हैं, वो हर इम्तिहान में पास होते हैं।
जो ईमान में रचे-बसे हैं, वो हर इम्तिहान में पास होते हैं।
हर आयत एक नूर है, जो दिल को जलाता नहीं, दिखाता है।
हर आयत एक नूर है, जो दिल को जलाता नहीं, दिखाता है।
क़ल्ब जब कुरान से जुड़ता है, तब रूह को सुकून मिलता है।
क़ल्ब जब कुरान से जुड़ता है, तब रूह को सुकून मिलता है।
ईमान है वो धागा, जो अल्लाह से जोड़ता है।
ईमान है वो धागा, जो अल्लाह से जोड़ता है।
हर हर्फ़ में बसी है हिदायत की रौशनी,
कुरान दिल को देता है ईमान की गर्मी।
हर हर्फ़ में बसी है हिदायत की रौशनी,
कुरान दिल को देता है ईमान की गर्मी।
ना देख तू दुनिया की चमक-धमक को,
ईमान रख, कुरान है तेरी असल दौलत को।
ना देख तू दुनिया की चमक-धमक को,
ईमान रख, कुरान है तेरी असल दौलत को।
जब दिल भटके, कुरान खोल के देख,
हर सवाल का जवाब है, तसल्ली के साथ।
जब दिल भटके, कुरान खोल के देख,
हर सवाल का जवाब है, तसल्ली के साथ।
ईमान वही जो कुरान पे चले,
जो बात कह दी अल्लाह ने, वो दिल में पले।
ईमान वही जो कुरान पे चले,
जो बात कह दी अल्लाह ने, वो दिल में पले।
ना जाने कितनी बार ग़मों में टूटा था दिल,
मगर कुरान ने हर बार दिया सब्र का सिलसिला।
ना जाने कितनी बार ग़मों में टूटा था दिल,
मगर कुरान ने हर बार दिया सब्र का सिलसिला।
ईमान की रौशनी से जो रास्ता रोशन हो,
वो रास्ता सीधा जन्नत की तरफ़ हो।
ईमान की रौशनी से जो रास्ता रोशन हो,
वो रास्ता सीधा जन्नत की तरफ़ हो।
कुरान की तालीम ही असली राह दिखाती है,
ईमान को मज़बूत करती है, रब से मिलाती है।
कुरान की तालीम ही असली राह दिखाती है,
ईमान को मज़बूत करती है, रब से मिलाती है।
ना ज़रूरत किसी गवाह की रही,
जब दिल ने कुरान में खुदा को पढ़ लिया सही।
ना ज़रूरत किसी गवाह की रही,
जब दिल ने कुरान में खुदा को पढ़ लिया सही।
4. 🌸 सब्र, शुक्र और तवक्कुल – रब की राह में तीन नूर 🌸
ज़िन्दगी के हर मोड़ पर एक मोमिन का ज़ेवर होता है — सब्र, शुक्र और तवक्कुल।
सब्र तब जब हालात आज़माते हैं,
शुक्र तब जब नेमतें बरसती हैं,
और तवक्कुल तब जब रास्ते धुंधले नज़र आते हैं मगर यक़ीन होता है कि “मेरा रब मेरे साथ है।”
इन तीनों रूहानी ताक़तों में इतनी क़ुव्वत है कि ये इंसान को मुश्किलों से निकालकर रौशनी की तरफ ले जाती हैं।
सब्र इंसान को मजबूत बनाता है,
शुक्र दिल को नरम करता है,
और तवक्कुल रूह को सुकून देता है।
जो शख़्स इन तीनों को अपना ले, उसके लिए हर दुख भी रहमत बन जाता है, और हर अँधेरा उम्मीद की किरण।
तवक्कुल करो, जैसे परिंदे बिना खौफ उड़ते हैं।
तवक्कुल करो, जैसे परिंदे बिना खौफ उड़ते हैं।
शुक्र है वो फूल जो हर काँटे में खुशबू भर देता है।
शुक्र है वो फूल जो हर काँटे में खुशबू भर देता है।
जब सब छूट जाए, तो बस अल्लाह साथ होता है।
जब सब छूट जाए, तो बस अल्लाह साथ होता है।
ईमान का असली रूप तब पता चलता है जब हालात बदलते हैं।
ईमान का असली रूप तब पता चलता है जब हालात बदलते हैं।
🌟 ईमान और अल्लाह पर भरोसा – रूह का सच्चा सुकून 🌟
ईमान सिर्फ एक अकीदा नहीं, बल्कि वो रौशनी है जो दिल को अंधेरों में भी राह दिखाती है।
जब ज़िन्दगी के रास्ते उलझने लगते हैं, और हर दरवाज़ा बंद महसूस होता है — तभी अल्लाह पर भरोसा वो कुंजी बनता है जो हर बंद दरवाज़ा खोल देती है।
ईमान हमें यक़ीन दिलाता है कि जो हो रहा है, उसमें भी रब की मर्ज़ी है — और जो नहीं हुआ, उसमें भी उसकी हिकमत छुपी है।
अल्लाह पर तवक्कुल करना मतलब ये जान लेना कि मेरा रब मुझसे बेहतर जानता है — और उसकी रहमत हर दर्द से बड़ी है।
यह भरोसा ही है जो एक बिखरे दिल को जोड़ता है, और एक टूटी रूह को फिर से चलना सिखाता है।
“ईमान हो तो राहें खुद बनती हैं,
वरना मुश्किलें हर मोड़ पर मिलती हैं।”
— अनाम
“ईमान हो तो राहें खुद बनती हैं,
वरना मुश्किलें हर मोड़ पर मिलती हैं।”
— अनाम
“जो रब पर एतबार करते हैं,
वो कभी हारते नहीं।”
— अनाम
“जो रब पर एतबार करते हैं,
वो कभी हारते नहीं।”
— अनाम
“ख़ुदा जब साथ हो, तो डर किस बात का?
ईमान वालों की तो हर बात में बरकत है।
— अनाम
“ख़ुदा जब साथ हो, तो डर किस बात का?
ईमान वालों की तो हर बात में बरकत है।
— अनाम
“तू ज़िन्दा है अभी, ईमान तेरा साथी है,
उठ और दिखा दे, के तुझ में बाक़ी खुद्दारी है।”
— अल्लामा इक़बाल
“तू ज़िन्दा है अभी, ईमान तेरा साथी है,
उठ और दिखा दे, के तुझ में बाक़ी खुद्दारी है।”
— अल्लामा इक़बाल
⚔️ ईमान की ताक़त – दिलों को मज़बूत करने वाली रूहानी ताक़त ⚔️
ईमान कोई बाहरी ताक़त नहीं, बल्कि दिल की वो ज्वाला है जो इंसान को हर मुश्किल का सामना करने की हिम्मत देती है।
जब हालात जवाब दे दें, तब ईमान की ताक़त ही है जो इंसान को घुटनों पर नहीं, सज्दे में लाकर राहत देती है।
ये ताक़त तलवार की नहीं होती — ये तो यक़ीन की होती है।
वो यक़ीन जो कहता है:
“अगर रब ने मुसीबत दी है, तो उससे निकलने का रास्ता भी देगा।”
वो भरोसा जो कहता है:
“मैं अकेला नहीं हूँ, मेरे साथ मेरा अल्लाह है।”
ईमान की ताक़त से ही इन्सान बुराई पर अच्छाई, नफ़रत पर मोहब्बत, और नाउम्मीदी पर उम्मीद की जीत हासिल करता है।
ये वही ताक़त है जिसने हज़रत इब्राहीम (अ.स) को आग में सुकून, और रसूल अल्लाह (ﷺ) को ताइफ़ की ठोकरों में सब्र अता किया।
“शमशीर से ज़्यादा धार होती है,
जब ईमान सीने में हो।”
“शमशीर से ज़्यादा धार होती है,
जब ईमान सीने में हो।”
“तूफ़ानों से जो न डरे,
वो ईमान वाला होता है।”
“तूफ़ानों से जो न डरे,
वो ईमान वाला होता है।”
“बदलते हालात में जो ना बदले,
वो ईमान की असल पहचान है।”
“बदलते हालात में जो ना बदले,
वो ईमान की असल पहचान है।”
“सर उठा के जीने की हिम्मत देता है ईमान,
वरना ज़माना तो हर किसी को झुकाना जानता है।”
— अनाम
“सर उठा के जीने की हिम्मत देता है ईमान,
वरना ज़माना तो हर किसी को झुकाना जानता है।”
— अनाम
🕊 सब्र, दुआ और Imaan – रूह की तीन मजबूत डोरियाँ 🌙
सब्र वो ज़ख़्म है जो बोलता नहीं, मगर अल्लाह से हर लम्हा शिकायत भी नहीं करता।
दुआ वो दर है, जो हर दर बंद होने के बाद भी खुला रहता है।
और ईमान वो रौशनी है, जो अंधेरों में भी रास्ता दिखाती है।
जब इंसान थक जाता है, टूट जाता है, तब ये तीन चीज़ें उसे संभालती हैं —
🕊 सब्र देता है हौसला,
🕊 दुआ देती है जुड़ाव,
🕊 और ईमान देता है यक़ीन।
इन तीनों का मिलना, रब से एक ऐसा रिश्ता कायम करता है,
जहाँ लफ़्ज़ कम पड़ते हैं, मगर दिल रब से कहता है:
“मैं तन्हा नहीं, तू मेरे साथ है।”
“दुआ की एक सिसकी,
कई तूफ़ानों से ज़्यादा असर रखती है।”
“दुआ की एक सिसकी,
कई तूफ़ानों से ज़्यादा असर रखती है।”
“ईमान वाला सब्र करता है,
और सब्र वाला जीतता है।”
“ईमान वाला सब्र करता है,
और सब्र वाला जीतता है।”
“जब अल्लाह से रिश्ता मजबूत हो,
तो दुनिया की हर मुश्किल छोटी लगती है।”
“जब अल्लाह से रिश्ता मजबूत हो,
तो दुनिया की हर मुश्किल छोटी लगती है।”
“तू जो चाहे नहीं,
अल्लाह जो दे वो बेहतर है।”
“तू जो चाहे नहीं,
अल्लाह जो दे वो बेहतर है।”
🌿 🌿 ज़िन्दगी में ईमान की अहमियत 🌿
ज़िन्दगी एक सफ़र है — कभी आसान, कभी मुश्किल।
इस सफ़र में जो चीज़ इंसान को गिरने से बचाती है,
जो अंधेरे में उम्मीद का चिराग़ बनती है,
वो है ईमान।
ईमान सिर्फ अल्लाह को मानना नहीं,
बल्कि हर हाल में उस पर भरोसा रखना है।
जब सारी दुनिया पीठ फेर ले,
जब रास्ते धुंधले हो जाएँ,
तब एक आवाज़ दिल से उठती है —
“रब मेरे साथ है।”
ईमान इंसान को सब्र देता है,
तवक्कुल सिखाता है,
और दुआओं में तसल्ली भरता है।
ये ईमान ही है जो ज़िन्दगी को मायने देता है,
वरना साँसे तो हर कोई लेता है।
“दौलत और शोहरत बदल सकती है,
पर ईमान जिसे मिल जाए, वो नहीं बदलता।”
“दौलत और शोहरत बदल सकती है,
पर ईमान जिसे मिल जाए, वो नहीं बदलता।”
“जिनके पास ईमान है,
उनके लिए रास्ते आसान हो जाते हैं।”
“जिनके पास ईमान है,
उनके लिए रास्ते आसान हो जाते हैं।”
“ज़िन्दगी एक इम्तिहान है,
और ईमान उसका रास्ता।”
“ज़िन्दगी एक इम्तिहान है,
और ईमान उसका रास्ता।”
“ईमान की बुनियाद पर टिका है सब्र,
और सब्र की नींव है रब का भरोसा।”
“ईमान की बुनियाद पर टिका है सब्र,
और सब्र की नींव है रब का भरोसा।”
“मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना,
हिंदी हैं हम, वतन है हिन्दोस्ताँ हमारा।”
— अल्लामा इक़बाल
“मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना,
हिंदी हैं हम, वतन है हिन्दोस्ताँ हमारा।”
— अल्लामा इक़बाल
“नहीं है ना-उमीद इक़बाल अपनी किश्त-ए-वीराँ से,
ज़रा नम हो तो ये मिट्टी बहुत ज़रख़ेज़ है साक़ी!”
— अल्लामा इक़बाल
“नहीं है ना-उमीद इक़बाल अपनी किश्त-ए-वीराँ से,
ज़रा नम हो तो ये मिट्टी बहुत ज़रख़ेज़ है साक़ी!”
— अल्लामा इक़बाल
“यकीं, अमल, मुहब्बत, फ़ता, इन ही के हैं सिपाही
तू बासम्त खुदा कर, यही हैं मर्द-ए-ख़ुदा के साथी।”
— अल्लामा इक़बाल
“यकीं, अमल, मुहब्बत, फ़ता, इन ही के हैं सिपाही
तू बासम्त खुदा कर, यही हैं मर्द-ए-ख़ुदा के साथी।”
— अल्लामा इक़बाल
ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले,
ख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे — बता तेरी रज़ा क्या है।
ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले,
ख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे — बता तेरी रज़ा क्या है।
शिकायत है तुझे खुदा से?
पहले खुद को खुदा के लायक बना।
शिकायत है तुझे खुदा से?
पहले खुद को खुदा के लायक बना।
ईमां फ़रोश कर दिया तूने चंद सिक्कों में,
अल्लाह की रज़ा अब कैसे मिलेगी तुझसे?
ईमां फ़रोश कर दिया तूने चंद सिक्कों में,
अल्लाह की रज़ा अब कैसे मिलेगी तुझसे?
🕋 ईमां और इबादत 🌙
ईमां दिल का वो यक़ीन है जो अल्लाह की मौजूदगी को हर लम्हा महसूस करता है,
और इबादत उस यक़ीन को सजदे में ढालने का नाम है।
ईमां बिना इबादत के अधूरा है,
और इबादत बिना ईमां के सिर्फ एक आदत।
जब इंसान का दिल अल्लाह की तरफ़ झुकता है,
तो वो हर दुआ, हर सजदा, हर आह भी इबादत बन जाती है।
ईमां रूह की नर्मी है,
और इबादत उस नर्मी का अल्लाह से रिश्ता।
इबादत सिर्फ मस्जिद की चार दीवारी तक महदूद नहीं,
बल्कि हर नेक अमल, हर सब्र, हर शुक्र,
जब ईमां से किया जाए — वो इबादत है।
ईमां और इबादत, दोनों मिलकर एक मोमिन की पहचान बनाते हैं,
जिसे दुनिया की कोई ताक़त हिला नहीं सकती।
रख यकीन बस उस एक पर,
हर राह उसी तक जाती है।
रख यकीन बस उस एक पर,
हर राह उसी तक जाती है।
जो सजदा न दिल से हो,
वो सिफ़र के बराबर है।
जो सजदा न दिल से हो,
वो सिफ़र के बराबर है।
ईमां की असली पहचान नमाज़ में नहीं,
किरदार में होती है।
ईमां की असली पहचान नमाज़ में नहीं,
किरदार में होती है।
लबों पर कलमा, दिल में खुदा,
बस यही ईमान की इंतिहा है।
लबों पर कलमा, दिल में खुदा,
बस यही ईमान की इंतिहा है।
🌟 तौहीद और अल्लाह से रिश्ता 🕋
तौहीद — इस्लाम की सबसे पाक और बुनियादी तालीम है।
यह यक़ीन कि “अल्लाह एक है, वही रब है, और उसी की इबादत की जानी चाहिए” —
मोमिन के दिल की सबसे गहरी आवाज़ है।
तौहीद, अल्लाह और उसके बंदे के दरमियान वो ना टूटने वाला रिश्ता है,
जिसमें ना कोई साज़िश दख़ल दे सकती है, ना कोई शक़।
जब दिल में तौहीद बस जाती है,
तो हर मुश्किल आसान, हर ग़म में सुकून और हर राह में नूर मिल जाता है।
अल्लाह से रिश्ता कोई दिखाने वाली चीज़ नहीं,
बल्कि वो महसूस करने वाली हकीकत है —
जो सजदे में झुके माथे से लेकर, दिल की तन्हाई तक फैली होती है।
जो तौहीद को समझता है,
वो हर हाल में अल्लाह को अपने करीब पाता है —
दुआओं में, आहों में, और खामोशियों में भी।
अल्लाह एक है —
यही ईमान का पहला और आखिरी सबक है।
अल्लाह एक है —
यही ईमान का पहला और आखिरी सबक है।
तेरा हर काम तेरे रब की मर्ज़ी से है,
ईमान है तो तुज़ पर भरोसा भी रख।
तेरा हर काम तेरे रब की मर्ज़ी से है,
ईमान है तो तुज़ पर भरोसा भी रख।
जिसे खुदा से लगाव है,
वो कभी किसी से नफ़रत नहीं करता।
जिसे खुदा से लगाव है,
वो कभी किसी से नफ़रत नहीं करता।
तेरा रब तुझसे करीब है,
बस तू दिल से पुकार कर देख।
तेरा रब तुझसे करीब है,
बस तू दिल से पुकार कर देख।
ज़मीर बेच दो या ईमान छोड़ दो,
सुलह नहीं होती सच्चाई की दुनिया में।
ज़मीर बेच दो या ईमान छोड़ दो,
सुलह नहीं होती सच्चाई की दुनिया में।
जब ईमान बचा न हो दिल में कहीं,
सजदे भी सिर्फ़ दिखावा लगते हैं।
जब ईमान बचा न हो दिल में कहीं,
सजदे भी सिर्फ़ दिखावा लगते हैं।
दिल में जो रौशनी है वो मस्जिद से नहीं आई,
ईमान की आग है जो अब तक सुलगती है।
दिल में जो रौशनी है वो मस्जिद से नहीं आई,
ईमान की आग है जो अब तक सुलगती है।
हम ने ज़माने की बातों को छोड़ दिया,
बस ईमान की राह को पकड़ लिया।
हम ने ज़माने की बातों को छोड़ दिया,
बस ईमान की राह को पकड़ लिया।
✨ ख़ुदा से रिश्ता (Connection with the Divine)
🌙 ख़ुदा से रिश्ता 🤲
ख़ुदा से रिश्ता कोई ज़ाहिरी कागज़ी ताल्लुक़ नहीं,
बल्कि वो रूहानी नाता है जो हर मोमिन के दिल में बसा होता है।
ये रिश्ता न आवाज़ मांगता है, न अल्फ़ाज़ —
सिर्फ़ एक सच्चा दिल और ख़ालिस यक़ीन चाहिए।
जब दुनिया से उम्मीदें टूट जाती हैं,
तब यही रिश्ता इंसान को सहारा देता है।
यह रिश्ता कभी वक़्त का मोहताज नहीं होता,
चाहे रात का सन्नाटा हो या दिन का शोर —
ख़ुदा हमेशा सुनता है, अपने बंदे की हर पुकार।
इबादत, दुआ, सब्र और भरोसा,
यही हैं उस रिश्ते की डोर,
जो इंसान को अल्लाह से जोड़े रखती है —
हर आँसू, हर मुस्कान में, हर खामोशी में।
जब भी टूटा मैं, खुदा के पास गया,
ईमान फिर से मेरा संवर गया।
जब भी टूटा मैं, खुदा के पास गया,
ईमान फिर से मेरा संवर गया।
तन्हाई में जब खुदा याद आया,
दिल ने कहा, यही तो है मेरा ईमान सच्चा।
तन्हाई में जब खुदा याद आया,
दिल ने कहा, यही तो है मेरा ईमान सच्चा।
हर गुनाह के बाद रोया हूँ मैं,
शायद खुदा को यही मेरा ईमान भाया।
हर गुनाह के बाद रोया हूँ मैं,
शायद खुदा को यही मेरा ईमान भाया।
माँ की दुआओं में जो असर है,
वो खुदा की रहमत का ईमान है।
माँ की दुआओं में जो असर है,
वो खुदा की रहमत का ईमान है।
✨ ज़मीर और सच्चाई 🕊️
ज़मीर वो आईना है जिसमें इंसान अपनी असल सूरत देखता है,
और सच्चाई वो रौशनी है जो उस आईने को साफ़ रखती है।
ज़मीर की आवाज़ वो ख़ामोश पुकार है
जो हमें हर मोड़ पर सही और ग़लत में फ़र्क़ करना सिखाती है।
ये आवाज़ न चीखती है, न डाँटती है —
मगर जब हम सच्चाई से मुंह मोड़ते हैं,
तो यही ज़मीर अंदर ही अंदर बेचैन कर देता है।
सच्चाई सिर्फ़ बातों में नहीं,
बल्कि सोच, नीयत और किरदार में ज़िंदा रहती है।
वो रास्ता मुश्किल ज़रूर होता है,
मगर उसी में ईमान की रौशनी चमकती है।
जिसका ज़मीर ज़िंदा होता है,
वो झूठ के अंधेरे में भी हक़ का दिया जला लेता है।
ज़मीर और सच्चाई — ये दो ऐसे गहने हैं,
जो इंसान को अल्लाह के सबसे क़रीब कर देते हैं।
ईमान की कश्ती लहरों में डगमगाई नहीं,
क्योंकि पतवार मेरे ज़मीर ने थामी थी।
ईमान की कश्ती लहरों में डगमगाई नहीं,
क्योंकि पतवार मेरे ज़मीर ने थामी थी।
सच्चा ईमान किसी किताब से नहीं आता,
इंसानियत की राह में खुदा मिल जाता है।
सच्चा ईमान किसी किताब से नहीं आता,
इंसानियत की राह में खुदा मिल जाता है।
हम ने देखा है खुदा को, हर मोड़ पे,
जब भी किया किसी की मदद, ईमान दिखा।
हम ने देखा है खुदा को, हर मोड़ पे,
जब भी किया किसी की मदद, ईमान दिखा।
कुछ दुआओं ने रास्ता दिखाया है,
कुछ ईमान ने खुदा से मिलवाया है।
कुछ दुआओं ने रास्ता दिखाया है,
कुछ ईमान ने खुदा से मिलवाया है।
नज़्में नहीं, ईमान कहता हूँ इन्हें,
जो दिल से निकलें वो अल्फाज़ नहीं रहते।
नज़्में नहीं, ईमान कहता हूँ इन्हें,
जो दिल से निकलें वो अल्फाज़ नहीं रहते।
“न हो मायूस कभी रहमत-ए-ख़ुदा से,
ईमान है तो रास्ता खुद बन जाता है।”
— बशीर बद्र
“न हो मायूस कभी रहमत-ए-ख़ुदा से,
ईमान है तो रास्ता खुद बन जाता है।”
— बशीर बद्र
“मुसलसल सब्र की राहों में जो चलता है,
ईमाँ से ही वो हर ख़ौफ़ को छलता है।”
— राहत इंदौरी
“मुसलसल सब्र की राहों में जो चलता है,
ईमाँ से ही वो हर ख़ौफ़ को छलता है।”
— राहत इंदौरी
“ईमाँ फ़रोज़ाँ करता है दिलों को नूर से,
जहाँ अंधेरे हों वहाँ रोशनी की बात करता है।”
— अल्लामा इक़बाल
“तू शाहीं है, परवाज़ है काम तेरा,
तेरे सामने आसमाँ और भी हैं।”
— अल्लामा इक़बाल
“ईमाँ फ़रोज़ाँ करता है दिलों को नूर से,
जहाँ अंधेरे हों वहाँ रोशनी की बात करता है।”
— अल्लामा इक़बाल
“तू शाहीं है, परवाज़ है काम तेरा,
तेरे सामने आसमाँ और भी हैं।”
— अल्लामा इक़बाल
“सब्र रखो, दुआ कबूल होगी यक़ीन के साथ,
ईमान हो दिल में तो रहमत बरसती है रात-दिन।”
— वसीम बरेलवी
“सब्र रखो, दुआ कबूल होगी यक़ीन के साथ,
ईमान हो दिल में तो रहमत बरसती है रात-दिन।”
— वसीम बरेलवी
ईमान सिर्फ़ एक अकीदा नहीं,
बल्कि एक जीवन जीने का तरीका है —
जो हर सांस में अल्लाह की याद,
हर कदम में सच्चाई,
और हर इम्तिहान में सब्र और तवक्कुल सिखाता है।
इस शायरी संग्रह में हमने कोशिश की है
कि अल्लामा इक़बाल जैसे अज़ीम शायरों की आवाज़ से लेकर
रूह को छू लेने वाले अशआरों तक,
हर लफ़्ज़ में रब की रौशनी और दिल का यक़ीन महसूस हो।
ईमान का मतलब है —
अंधेरे में भी रौशनी की उम्मीद रखना,
और तूफ़ानों में भी ख़ुदा पर भरोसा बनाए रखना।
जब अल्फ़ाज़ ईमान से जुड़े होते हैं,
तो वो महज़ शायरी नहीं रहते —
वो दुआ बन जाते हैं,
दिलों को जोड़ते हैं, और रूहों को सुकून देते हैं।
ईमान पर शायरी एक ऐसी राह है,
जहाँ अल्लाह से मोहब्बत,
ख़ुद से सच्चाई और
दुनिया से फासले —
सब एक साथ चल पड़ते हैं।
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